कथा-कहानी

काकाजी (मेरे पिता)की प्रथम पुण्यतिथि( 19मई2011)पर यह नया ब्लाग शुरु कर रही हूँ जिसमें मेरी अधूरी पडी कहानियों में से कुछ कहानियाँ प्रस्तुत करूँगी । कहानी 'मास्टरसाब'जो पाँच वर्ष पहले अधूरी छोड दी थी ,काफी कुछ काकाजी से ही प्रेरित है । शिक्षक वाले प्रसंग तो पूरी तरह उन्ही के हैं । कहानी को परिपूर्ण तो नही कहा जासकता लेकिन आप सबके विचार मुझे कभी उस स्तर पर ले जाएंगे । इसलिये कृपया मेरी कहानियों को पढें और प्रतिक्रिया भी अवश्य ही दें मेरा उत्साह तो बढेगा ही , एक दिशा भी मिलेगी ।

बुधवार, 25 दिसंबर 2024

डायरी का आखिरी पन्ना

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इस कहानी को   सुप्रसिद्ध लेखिका   रश्मि   ' रविजा ' जी के महाराष्ट्र साहित्य अकादमी से पुरस्कृत उपन्यास  ' काँच के शामियाने ...
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गिरिजा कुलश्रेष्ठ
जीवन के छह दशक पार करने के बाद भी खुद को पहली कक्षा में पाती हूँ ।अनुभूतियों को आज तक सही अभिव्यक्ति न मिल पाने की व्यग्रता है । दिमाग की बजाय दिल से सोचने व करने की आदत के कारण प्रायः हाशिये पर ही रहती आई हूँ ।फिर भी अपनी सार्थकता की तलाश जारी है ।
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